إليكِ..يانبضَ الوتينْ
بكلّ طراوةٍ..ولينْ
سؤالي..
خافقي.. ملأتهِ بهواكِ
ايّامي.. عطّرهاشذاكِ
دروبي.. أزهرتها.. حنين
أمواجي.. تكسّرت
علىَ ضفافِ..شطآنكِ
صلبتُ..الرّوحَ..فداكِ
وهلْ..أبقيتِ..منّي
سوى.. بقايا عاشقٍ
حزين..
كُرماكِ..لنْ أُبحِرَ..مسافراً
ولَنْ..أغادرَ..مهاجِراً..
لحدائقِ العاشقينْ..
فأنا.. هنا.. باقٍ
كما.. سنديانةٍ..
أوكشجرةٍ..مِنْ..تينْ
وسؤالي.. هوَ
ستُغادري.. قلبي.. ؟؟
أمْ بهِ..
باقيةً..
تسكُنينْ..
… علي سليمان..
بكلّ طراوةٍ..ولينْ
سؤالي..
خافقي.. ملأتهِ بهواكِ
ايّامي.. عطّرهاشذاكِ
دروبي.. أزهرتها.. حنين
أمواجي.. تكسّرت
علىَ ضفافِ..شطآنكِ
صلبتُ..الرّوحَ..فداكِ
وهلْ..أبقيتِ..منّي
سوى.. بقايا عاشقٍ
حزين..
كُرماكِ..لنْ أُبحِرَ..مسافراً
ولَنْ..أغادرَ..مهاجِراً..
لحدائقِ العاشقينْ..
فأنا.. هنا.. باقٍ
كما.. سنديانةٍ..
أوكشجرةٍ..مِنْ..تينْ
وسؤالي.. هوَ
ستُغادري.. قلبي.. ؟؟
أمْ بهِ..
باقيةً..
تسكُنينْ..
… علي سليمان..
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